Thursday 1 November 2018

2019 के चुनाव को लेकर जिस तरह से राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा हुआ है इससे साफ नजर आता है कि इस बार तीसरे फ्रंट का तैयार होना तय हैं। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकती हैं बशर्ते कि देश के उन तमाम छोटे-बड़े क्षेत्रीय दलों से सहयोग मिला तो। अगर कोई क्षेत्रीय दल पिछली सरकारों के किसी भी गठबंधन में शामिल होती है तो बेरोजगारी भुखमरी भ्रष्टाचार महंगाई इत्यादि से हमारा देश निजात नहीं पा सकता है। क्योंकि पिछले 70 सालों से महंगाई बेरोजगारी भुखमरी गरीबी को दूर करने में कांग्रेसी असफल रहे और दूसरी तरफ वर्तमान सरकार भाजपा भी पिछले 4 सालों में इन मुद्दों पर कुछ खास नहीं किया है। ऐसे में अब देखना यह है कि देश का बहुजन समाज जो बहुजन सम्राज्य की कल्पना करता है क्या वह बहन कुमारी मायावती को प्रधानमंत्री बनाने के लिए प्रतिबद्ध रहता है या रहेगा क्योंकि बहुत से राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां है जो बहुजन समाज का कुछ तो कल्याण की लेकिन फिर आज वो कांग्रेस या बीजेपी से हाँथ मिला कर बहुजन समाज को बेचने का काम कर रही है। जैसे बिहार में लालू प्रसाद यादव कांग्रेस से, रामबिलास पासवान और नीतीश कुमार बीजेपी से यूपी में अखिलेश यादव कांग्रेस से इसके अलावे बिभिन्न राज्यो में छोटी- छोटी पार्टिया कांग्रेस और बीजेपी में अपना भविष्य तलाश रही है। जबकि कुछ बहुजन उद्धारक पार्टिया बसपा से गठबंधन कर तीसरे मोर्चे की नींव डाल दी है। जैसे छत्तीसगढ़ हरियाणा कर्नाटक इत्यादि । अब ये देखना दिलचस्प है कि बहुजन समाज के लोग क्या निर्णय लेते है। जातिवाद करेंगे या बहुजनवाद करेंगे। वैसे 2019 में बहन कुमारी मायावती का दांव मजबूत हो सकता हैं।